Best Amrita Pritam Poems

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पहचान-Poems by Amrita Pritam 

तुम मिले
तो कई जन्म
मेरी नब्ज़ में धड़के
तो मेरी साँसों ने तुम्हारी साँसों का घूँट पिया
तब मस्तक में कई काल पलट गए–

एक गुफा हुआ करती थी
जहाँ मैं थी और एक योगी
योगी ने जब बाजुओं में लेकर
मेरी साँसों को छुआ
तब अल्लाह क़सम!
यही महक थी जो उसके होठों से आई थी–
यह कैसी माया कैसी लीला
कि शायद तुम ही कभी वह योगी थे
या वही योगी है–
जो तुम्हारी सूरत में मेरे पास आया है
और वही मैं हूँ… और वही महक है…

— अमृता प्रीतम

pahchan-Best Amrita Pritam Poems or Poetry In Hindi with image
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सिगरेट-Amrita Pritam Poems

यह आग की बात है
तूने यह बात सुनाई है
यह ज़िंदगी की वो ही सिगरेट है
जो तूने कभी सुलगाई थी

चिंगारी तूने दे थी
यह दिल सदा जलता रहा
वक़्त कलम पकड़ कर
कोई हिसाब लिखता रहा

चौदह मिनिट हुए हैं
इसका ख़ाता देखो
चौदह साल ही हैं
इस कलम से पूछो

मेरे इस जिस्म में
तेरा साँस चलता रहा
धरती गवाही देगी
धुआं निकलता रहा

उमर की सिगरेट जल गयी
मेरे इश्के की महक
कुछ तेरी सान्सों में
कुछ हवा में मिल गयी,

देखो यह आखरी टुकड़ा है
ऊँगलीयों में से छोड़ दो
कही मेरे इश्कुए की आँच
तुम्हारी ऊँगली ना छू ले

ज़िंदगी का अब गम नही
इस आग को संभाल ले
तेरे हाथ की खेर मांगती हूँ
अब और सिगरेट जला ले !!

— अमृता प्रीतम

Sigret-Best Amrita Pritam Poems or Poetry In Hindi with image
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कुफ़्र-Poem By Amrita Pritam 

आज हमने एक दुनिया बेची
और एक दीन ख़रीद लिया
हमने कुफ़्र की बात की

सपनों का एक थान बुना था
एक गज़ कपड़ा फाड़ लिया
और उम्र की चोली सी ली

आज हमने आसमान के घड़े से
बादल का एक ढकना उतारा
और एक घूँट चाँदनी पी ली

यह जो एक घड़ी हमने
मौत से उधार ली है
गीतों से इसका दाम चुका देंगे

— अमृता प्रीतम

kufra-Best Amrita Pritam Poems or Poetry In Hindi with image
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शहर-Poetry of Amrita Pritam

मेरा शहर एक लम्बी बहस की तरह है
सड़कें – बेतुकी दलीलों-सी…
और गलियाँ इस तरह
जैसे एक बात को कोई इधर घसीटता
कोई उधर

हर मकान एक मुट्ठी-सा भिंचा हुआ
दीवारें-किचकिचाती सी
और नालियाँ, ज्यों मुँह से झाग बहता है

यह बहस जाने सूरज से शुरू हुई थी
जो उसे देख कर यह और गरमाती
और हर द्वार के मुँह से
फिर साईकिलों और स्कूटरों के पहिये
गालियों की तरह निकलते
और घंटियाँ-हार्न एक दूसरे पर झपटते

जो भी बच्चा इस शहर में जनमता
पूछता कि किस बात पर यह बहस हो रही?
फिर उसका प्रश्न ही एक बहस बनता
बहस से निकलता, बहस में मिलता…

शंख घंटों के साँस सूखते
रात आती, फिर टपकती और चली जाती

पर नींद में भी बहस ख़तम न होती
मेरा शहर एक लम्बी बहस की तरह है….

— अमृता प्रीतम

Shahar-Best Amrita Pritam Poems or Poetry In Hindi with image
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एक मुलाक़ात-Poetry By Amrita Pritam

मैं चुप शान्त और अडोल खड़ी थी
सिर्फ पास बहते समुन्द्र में तूफान था……
फिर समुन्द्र को खुदा जाने
क्या ख्याल आया
उसने तूफान की एक पोटली सी बांधी
मेरे हाथों में थमाई
और हंस कर कुछ दूर हो गया

हैरान थी….
पर उसका चमत्कार ले लिया
पता था कि इस प्रकार की घटना
कभी सदियों में होती है…..

लाखों ख्याल आये
माथे में झिलमिलाये

पर खड़ी रह गयी कि उसको उठा कर
अब अपने शहर में कैसे जाऊंगी?

मेरे शहर की हर गली संकरी
मेरे शहर की हर छत नीची
मेरे शहर की हर दीवार चुगली

सोचा कि अगर तू कहीं मिले
तो समुन्द्र की तरह
इसे छाती पर रख कर
हम दो किनारों की तरह हंस सकते थे

और नीची छतों
और संकरी गलियों
के शहर में बस सकते थे….

पर सारी दोपहर तुझे ढूंढते बीती
और अपनी आग का मैंने
आप ही घूंट पिया

मैं अकेला किनारा
किनारे को गिरा दिया
और जब दिन ढलने को था
समुन्द्र का तूफान
समुन्द्र को लौटा दिया….

अब रात घिरने लगी तो तूं मिला है
तूं भी उदास, चुप, शान्त और अडोल
मैं भी उदास, चुप, शान्त और अडोल
सिर्फ- दूर बहते समुन्द्र में तूफान है…..

— अमृता प्रीतम

Ek mulaqaat-Best Amrita Pritam Poems or Poetry In Hindi with image
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राजनीति-Poems by Amrita Pritam

सुना है राजनीति एक क्लासिक फिल्म है
हीरो: बहुमुखी प्रतिभा का मालिक
रोज अपना नाम बदलता है
हीरोइन: हकूमत की कुर्सी वही रहती है
ऐक्स्ट्रा: लोकसभा और राजसभा के मैम्बर
फाइनेंसर: दिहाड़ी के मज़दूर,
कामगर और खेतिहर
(फाइनांस करते नहीं,
करवाये जाते हैं)
संसद: इनडोर शूटिंग का स्थान
अख़बार: आउटडोर शूटिंग के साधन
यह फिल्म मैंने देखी नहीं
सिर्फ़ सुनी है
क्योंकि सैन्सर का कहना है —
‘नॉट फॉर अडल्स।’

Rajneeti-Best Amrita Pritam Poems or Poetry In Hindi with image
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मेरा पता -Amrita Pritam Poems

आज मैंने
अपने घर का नम्बर मिटाया है
और गली के माथे पर लगा
गली का नाम हटाया है
और हर सड़क की
दिशा का नाम पोंछ दिया है
पर अगर आपको मुझे ज़रूर पाना है
तो हर देश के, हर शहर की,
हर गली का द्वार खटखटाओ
यह एक शाप है, यह एक वर है
और जहाँ भी
आज़ाद रूह की झलक पड़े
— समझना वह मेरा घर है।

Mera Pata-Best Amrita Pritam Poems or Poetry In Hindi with image
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साल मुबारक!-Poem By Amrita Pritam

जैसे सोच की कंघी में से
एक दंदा टूट गया
जैसे समझ के कुर्ते का
एक चीथड़ा उड़ गया
जैसे आस्था की आँखों में
एक तिनका चुभ गया
नींद ने जैसे अपने हाथों में
सपने का जलता कोयला पकड़ लिया
नया साल कुझ ऐसे आया…

जैसे दिल के फ़िक़रे से
एक अक्षर बुझ गया
जैसे विश्वास के काग़ज़ पर
सियाही गिर गयी
जैसे समय के होंटो से
एक गहरी साँस निकल गयी
और आदमज़ात की आँखों में
जैसे एक आँसू भर आया
नया साल कुछ ऐसे आया…

जैसे इश्क़ की ज़बान पर
एक छाला उठ आया
सभ्यता की बाँहों में से
एक चूड़ी टूट गयी
इतिहास की अंगूठी में से
एक नीलम गिर गया
और जैसे धरती ने आसमान का
एक बड़ा उदास-सा ख़त पढ़ा
नया साल कुछ ऐसे आया…

saal mubaark-Best Amrita Pritam Poems or Poetry In Hindi with image
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मजबूर -Poetry of Amrita Pritam

मेरी माँ की कोख मज़बूर थी…
मैं भी तो एक इन्सान हूँ
आज़ादियों की टक्कर में
उस चोट का निशान हूँ
उस हादसे की लकीर हूँ
जो मेरी माँ के माथे पर
लगनी ज़रूर थी
मेरी माँ की कोख मज़बूर थी

मैं वह लानत हूँ
जो इन्सान पर पड़ रही है
मैं उस वक़्त की पैदाइश हूँ
जब तारे टूट रहे थे
जब सूरज बुझ गया था
जब चाँद की आँख बेनूर थी
मेरी माँ की कोख मज़बूर थी

मैं एक ज़ख्म का निशान हूँ,
मैं माँ के जिस्म का दाग हूँ
मैं ज़ुल्म का वह बोझ हूँ
जो मेरी माँ उठाती रही
मेरी माँ को अपने पेट से
एक दुर्गन्ध-सी आती रही

कौन जाने कितना मुश्किल है
एक ज़ुल्म को अपने पेट में पालना
अंग-अंग को झुलसाना
और हड्डियों को जलाना
मैं उस वक़्त का फल हूँ –
जब आज़ादी के पेड़ पर
बौर पड़ रहा था
आज़ादी बहुत पास थी
बहुत दूर थी
मेरी माँ की कोख मज़बूर थी…

Majboor-Best Amrita Pritam Poems or Poetry In Hindi with image
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वारिस शाह से-Poems by Amrita Pritam

आज वारिस शाह से कहती हूं –
अपनी क़ब्र में से बोलो!
और इश्क़ की किताब का
कोई नया वर्क़ खोलो!

पंजाब की एक बेटी रोयी थी,
तूने एक लम्बी दास्तान लिखी,
आज लाखों बेटियां रो रही हैं
वारिस शाह! तुम से कह रही हैं:
ऐ दर्दमन्दों के दोस्त,
पंजाब की हालत देखो
चौपाल लाशों से अटा पड़ा है,
चनाब लहू से भर गया है…

किसी ने पांचों दरियाओं में
एक ज़हर मिला दिया है
और यही पानी
धरती को सींचने लगा है
इस ज़रखेज़ धरती से
ज़हर फूट निकला है
देखो, सुर्खी कहां तक आ पहुंची!
और क़हर कहां तक आ पहुंचा!

फिर ज़हरीली हवा
वन-जंगलों में चलने लगी
उसमें हर बांस की बांसुरी
जैसे एक नाग बना दी…
नागों ने लोगों के होंठ डस लिये
और डंक बढ़ते चले गये
और देखते-देखते पंजाब के
सारे अंग काले और नीले पड़ गये

हर गले से गीत टूट गया,
हर चरखे का धागा छूट गया
सहेलियां एक-दूसरे से बिछुड़ गयीं,
चरखों की महफ़िल वीरान हो गयी
मल्लाहों ने सारी किश्तियां
सेज के साथ ही बहा दीं
पीपलों ने सारी पेंगें
टहनियों के साथ तोड़ दीं

जहां प्यार के नग़में गूंजते थे
वह बांसुरी जाने कहां खो गयी
और रांझे के सब भाई
बांसुरी बजाना भूल गये…
धरती पर लहू बरसा,
क़ब्रें टपकने लगीं
और प्रीत की शहज़ादियां
मज़ारों में रोने लगीं…

आज सभी ‘कैदो’ बन गये –
हुस्न और इश्क़ के चोर
मैं कहां से ढ़ूंढ़ कर लाऊं
एक वारिस शाह और

वारिस शाह! मैं तुमसे कहती हूं
अपनी क़ब्र से बोलो
और इश्क़ की किताब का
कई नया वर्क़ खोलो!

warees shah se-Best Amrita Pritam Poetry In Hindi with image
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याद-Amrita Pritam Poems

आज सूरज ने कुछ घबरा कर
रोशनी की एक खिड़की खोली
बादल की एक खिड़की बंद की
और अंधेरे की सीढियां उतर गया…

आसमान की भवों पर
जाने क्यों पसीना आ गया
सितारों के बटन खोल कर
उसने चांद का कुर्ता उतार दिया…

मैं दिल के एक कोने में बैठी हूं
तुम्हारी याद इस तरह आयी
जैसे गीली लकड़ी में से
गहरा और काला धूंआ उठता है…

साथ हजारों ख्याल आये
जैसे कोई सूखी लकड़ी
सुर्ख आग की आहें भरे,
दोनों लकड़ियां अभी बुझाई हैं

वर्ष कोयले की तरह बिखरे हुए
कुछ बुझ गये, कुछ बुझने से रह गये
वक्त का हाथ जब समेटने लगा
पोरों पर छाले पड़ गये…

तेरे इश्क के हाथ से छूट गयी
और जिन्दगी की हन्डिया टूट गयी
इतिहास का मेहमान
मेरे चौके से भूखा उठ गया…

Yaad-Best Amrita Pritam Poetry In Hindi with image
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