Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

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Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image (with Hindi) or Sanskrit shlok


यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति शीतमुष्णं भयं रति ।
समृध्दिरसमृद्धिर्वा स वै पण्डित उच्यते ॥

जिसका कार्य कभी ठंढ, ताप, भय, प्रेम, समृद्धि,
या उसका अभाव से बाधित नहीं होता, केवल वही वास्तव में श्रेष्ठ है।

yasya kritym n vighranti-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
yasya kritym n vighranti-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

न कालमतिवर्तन्ते महान्तः स्वेषु कर्मसु ।

Great people never delay their duties.

महान लोग अपने कर्तव्य निभाने में देरी नहीं करते हैं।

N kalmativartante mahantah-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
N kalmativartante mahantah-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

अत्वरा सर्वकार्येषु त्वरा कार्याविनाशिनी।

कार्यों में शीघ्रता नहीं करनी चाहिए, शीघ्रता कार्यविनाशिनी होती है।

Atvara sarvkaryeshu tvara karyavinashini-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
Atvara sarvkaryeshu tvara karyavinashini-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

नातिक्रान्तानि शोचेत प्रस्तुतान्यनागतानि चित्यानि ।

बीती बातों पर दुःख न मनाये। वर्तमान की तथा भविष्य की बातों पर ध्यान दें।

natikrantani shochet prastutanyanagatani-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
natikrantani shochet prastutanyanagatani-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

प्रथमे नार्जिता विद्या द्वितीये नार्जितं धनम् ।
तृतीये नार्जितं पुण्यं चतुर्थे किं करिष्यसि ॥

यदि जीवन के प्रथम भाग में विद्या, दूसरे में धन,
और तीसरे में पुण्य नही कमाया, तो चौथे भाग में क्या करोगे ?

prathme narjita vidya dvitiye narjitm -Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
prathme narjita vidya dvitiye narjitm -Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

चरन्मार्गान्विजानाति

पथिक व्यक्ति को मार्ग का ज्ञान स्वयं ही हों जाता हैं।

Charanmarganvijanati-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
Charanmarganvijanati-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

कुटुंबकं जीवनं मम

Family is my life.

परिवार मेरी जिंदगी है.

kutumbakam jeevanam mm-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
kutumbakam jeevanam mm-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

आनंदः अस्ति स्वीकृतिः

We are happy only in our acceptance.

हमारी स्वीकृति में ही हमारी ख़ुशी होती है ।

aanandah asti svikritiah-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
aanandah asti svikritiah-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

यत् भावो – तत् भवति

You become what you believe.

आप जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं।

yat bhavo tat bhavati-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
yat bhavo tat bhavati-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे भार्या गृहद्वारि जनः श्मशाने।
देहश्चितायां परलोकमार्गे कर्मोनुगो गच्छति जीव एकः॥

धन भूमि पर, पशु गोष्ठ में, पत्नी घर में, संबन्धी श्मशान में,
और शरीर चिता पर रह जाता है। केवल कर्म ही है
जो परलोक के मार्ग पर साथ-साथ आता है।

dhanani bhumau pashwshch goshthe bharya-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
dhanani bhumau pashwshch goshthe bharya-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

स्वस्मै स्वल्पं समाजाय सर्वस्वं।

अपने लिए थोड़ा और दूसरों के लिए सब कुछ!

swasmai swalpm samajay sarvasvm-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
swasmai swalpm samajay sarvasvm-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

एतदपि गमिष्यति ।

यह भी चला जाएगा |

etadapi gamishyati-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
etadapi gamishyati-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

भद्रं भद्रं कृतं मौनं कोकिलैर्जलदागमे ।
दर्दूराः यत्र वक्तारः तत्र मौनं हि शोभते ॥

वर्षा ऋतु के प्रारंभ में कोयलें चुप हो जाती है,
क्योंकि बोलने वाले जहाँ मेंढक हो वहाँ चुप रहना ही शोभा देता है।

bhadram bhadram kritm kokolairjaldagme-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
bhadram bhadram kritm kokolairjaldagme-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

यत्कर्म कृत्वा कुर्वंश्च करिष्यंश्चैव लज्जति ।
तज्ज्ञेयं विदुषा सर्वं तामसं गुणलक्षणम् ॥

जो कर्म करने के पश्चात, करते हुए या करने से पहले शर्म आए,
एसे सभी कर्म तामसिक माने गये हैं।

yatkarm kritva kurvamshch karishyanshchaiv-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
yatkarm kritva kurvamshch karishyanshchaiv-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

अतितृष्णा न कर्तव्या तृष्णां नैव परित्यजेत् ।
शनैः शनैश्च भोक्तव्यं स्वयं वित्तमुपार्जितम् ॥

अत्यधिक इच्छाएँ नहीं करनी चाहिए पर इच्छाओं का सर्वथा त्याग भी नहीं करना चाहिए ।
अपने कमाये हुए धन का धीरे धीरे उपभोग करना चाहिये ।

atitrishna n kartavya trishnam naiv-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
atitrishna n kartavya trishnam naiv-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रिया ।
चित्ते वाचि क्रियायां च साधूनामेकरूपता ॥

जैसा मन होता है वैसी ही वाणी होती है, जैसी वाणी होती है वैसे ही कार्य होता है ।
सज्जनों के मन​, वाणी और कार्य में एकरूपता (समानता) होती है।

yatha chitam tatha vacho yatha vachastatha-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
yatha chitam tatha vacho yatha vachastatha-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

यद्यत्संद्दश्यते लोके सर्वं तत्कर्मसम्भवम् ।
सर्वां कर्मांनुसारेण जन्तुर्भोगान्भुनक्ति वै ॥

लोगों के बीच जो कुछ भी देखा जाता है (चाहे सुख या दर्द) कर्म से पैदा होता है।
सभी प्राणी अपने पिछले कर्मों के अनुसार आनंद लेते हैं या पीड़ित होते हैं।

yadyatsanddashyate loke sarvm-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
yadyatsanddashyate loke sarvm-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्।
एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः॥

जो सब अन्यों के वश में होता है, वह दुःख है। जो सब अपने वश में होता है, वह सुख है।
यही संक्षेप में सुख एवं दुःख का लक्षण है।

Sarvm parvashm dukhm sarvmatmvashm-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
Sarvm parvashm dukhm sarvmatmvashm-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः ।

सभी दिशाओं से नेक विचार मेरी ओर आएँ।

aa no bhadrah kratavo-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image
aa no bhadrah kratavo-Best Inspirational Sanskrit Quotes on Life with image

स्वस्तिप्रजाभ्यः परिपालयन्तां न्यायेन मार्गेण महीं महीशाः।
गोब्राह्मणेभ्यः शुभमस्तु नित्यं लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु॥

सभी लोगों की भलाई शक्तिशाली नेताओं द्वारा कानून और न्याय के साथ हो।
सभी दिव्यांगों और विद्वानों के साथ सफलता बनी रहे और सारा संसार सुखी रहे।


प्राता रत्नं प्रातरित्वा दधाति ।

प्रातःकाल उठने वाले अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करतें है ।


अमृतत्वस्य तु नाशास्ति वित्तेन ।

धन से अमरत्व प्राप्त नहीं किया जा सकता ।


विवेकख्यातिरविप्लवा हानोपायः।

निरंतर अभ्यास से प्राप्त​ निश्चल और निर्दोष विवेकज्ञान हान(अज्ञानता) का उपाय है।


संधिविग्रहयोस्तुल्यायां वृद्धौ संधिमुपेयात्।

यदि शांति या युद्ध में समान वृद्धि हो तो उसे (राजा को) शांति का सहारा लेना चाहिए।


Sanskrit Shlok


जीवेषु करुणा चापि मैत्री तेषु विधीयताम् ।

जीवों पर करुणा एवं मैत्री कीजिये।


सन्तुष्टो भार्यया भर्ता भर्त्रा भार्या तथैव च
यस्मिन्नेव नित्यं कल्याणं तत्र वै ध्रुवम् ॥

जिस परिवार में पति अपनी पत्नी से और पत्नी अपने पति से सुखी होती है,
वहां कल्याण निश्चित रूप से स्थायी होता है।


अप्राप्यं नाम नेहास्ति धीरस्य व्यवसायिनः।

जिसके पास साहस है और जो मेहनत करता है, उसके लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं है।


अहिंसाप्रतिष्ठायां तत्संनिधौ वैरत्यागः।

अहिंसा (मे) दृढ़ स्थिति हो जाने पर उस (योगी के) निकट (सब का) वैर छूट जाता है।


सिंहवत्सर्ववेगेन पतन्त्यर्थे किलार्थिनः॥

जो कार्य संपन्न करना चाहते हैं, वे सिंह की तरह अधिकतम वेग से कार्य पर टूट पड़ते हैं।


अनारम्भस्तु कार्याणां प्रथमं बुद्धिलक्षणम्।
आरब्धस्यान्तगमनं द्वितीयं बुद्धिलक्षणम्॥

कार्य शुरु न करना बुद्धि का पहला लक्षण है।
शुरु किये हुए कार्य को समाप्त करना बुद्धि का दूसरा लक्षण है।


आकिञ्चन्ये न मोक्षोऽस्ति किञ्चन्ये नास्ति बन्धनम्।
किञ्चन्ये चेतरे चैव जन्तुर्ज्ञानेन मुच्यते॥

दरिद्रता में मोक्ष नहीं, और संपन्नता में कोई बन्धन नहीं।
किन्तु दरिद्रता हो या संपन्नता, मनुष्य ज्ञान से ही मुक्ति पाता है।


कुसुम-सधर्माणि हि योषितः सुकुमार-उपक्रमाः।
ताः तु अनधिगत-विश्वासैः प्रसभम् उपक्रम्यमाणाः संप्रयाग-द्वेषिण्यः भवन्ति। तस्मात् साम्ना एव उपचरेत्॥

स्त्रियाँ फूल के समान होती हैं, इसलिये उनके साथ बहुत सुकुमारता से व्यवहार करना चाहिए।
जब तक पत्नी के हृदय में पति के प्रति पूर्ण विश्वास उत्पन्न न हो जाय तब कोई क्रिया जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।


उत्थानेनामृतं लब्धमुत्थानेनासुरा हताः।
उत्थानेन महेन्द्रेण श्रैष्ठ्यं प्राप्तं दिवीह च॥

देवों ने भी प्रयत्नों से ही अमृत प्राप्त किया था, प्रयत्नों से ही असुरों का संहार किया था,
तथा देवराज इन्द्र ने भी प्रयत्न से ही इहलोक और स्वर्गलोक में श्रेष्ठता प्राप्त की थी।


व्यतिषजति पदार्थानान्तरं कोऽपि हेतुर्न खलु बहिरुपाधीन् प्रीतयःसंश्रयन्ते॥

दो व्यक्तियों के साथ होने का कोई अज्ञात कारण होता है।
वास्तव में प्रेम बाह्य कारणों पर निर्भर नही होता।


अतिरोषणश्चक्षुष्मानन्ध एव जनः।

अत्यन्त क्रोधी व्यक्ति आँखें रखते हुए भी अन्धा होता है।


सुखार्थिनः कुतो विद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम्।
सुखार्थी वा त्यजेद्विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत्सुखम्॥

आराम के साधकों को ज्ञान प्राप्त नहीं होता, और ज्ञान के साधकों को आराम प्राप्त नहीं होता।
सुखार्थी को विद्या और विद्यार्थी को सुख त्याग देना चाहिए।


पिपीलिकार्जितं धान्यं मक्षिकासञ्चितं मधु ।
लुब्धेन सञ्चितं द्रव्यं समूलं हि विनश्यति ॥

चींटी द्वारा इकट्ठा किया गया अनाज, मक्खी द्वारा जमा किया गया शहद,
और लोभियों द्वारा संचित किया गया धन, समूल ही नष्ट हो जाता है।


अस्तेयप्रतिष्ठायां सर्वरत्नोपस्ठानम् ।

अस्तेय (चोरी न करना) और अपरिग्रह​ (भोग के साधनों का स्वीकार न करना) में दृढ़ हो जाने पर उस योगी के सामने सभी प्रकार का धन​ प्रकट हो जाता है।


तेजस्विनि क्षमोपेते नातिकार्कश्यमाचरेत्।
अतिनिर्मथनाद्वह्निश्चन्दनादपि जायते॥

तेजस्वी और​ क्षमाशील व्यक्ति से कभी भी अतिकठोर आचरण नहीं करना चाहियें।
अति घर्षण से चन्दन की लकडी में भी अग्नि उत्पन्न होती हैं।


मा कुरु धनजनयौवनगर्वं हरति निमेषात्कालः सर्वम्।
मायामयमिदमखिलं हित्वा ब्रह्मपदं त्वं प्रविश विदित्वा॥

धन, जन, और यौवन पर घमण्ड मत करो; काल इन्हें पल में छीन लेता है।
इस माया को छोड़ कर इस ज्ञान से ब्रह्मपद में प्रवेश करो।


कल्पयति येन वृत्तिं येन च लोके प्रशस्यते सद्भिः।
स गुणस्तेन च गुणिना रक्ष्यः संवर्धनीयश्च॥

जिस गुण से आजीविका का निर्वाह हो और जिसकी सभी प्रशंसा करते हैं,
अपने स्वयं के विकास के लिए उस गुण को बचाना और बढ़ावा देना चाहिए।


जरामृत्यू हि भूतानां खादितारौ वृकाविव ।
बलिनां दुर्बलानां च ह्रस्वानां महतामपि ॥

बुढ़ापा और मृत्यु ये दोनों भेड़ियों के समान हैं
जो बलवान, दुर्बल, छोटे और बड़े सभी प्राणियों को खा जाते हैं ।


अति सर्वनाशहेतुर्ह्यतोऽत्यन्तं विवर्जयेत्।

अति सर्वनाश का कारण है।
इसलिये अति का सर्वथा परिहार करे।


आरोप्यते शिला शैले यथा यत्नेन भूयसा।
निपात्यते सुखेनाधस्तथात्मा गुणदोषयोः॥

जैसे कोई पत्थर बड़े कष्ट से पहाड़ के ऊपर पहुँचाया जाता है पर बड़ी
आसानी से नीचे गिर जाता है, वैसे ही हम भी अपने गुणों के कारण ऊँचे उठते हैं
किंतु हम एक ही दुष्कर्म से आसानी से गिर सकते हैं।


यथा ह्यल्पेन यत्नेन च्छिद्यते तरुणस्तरुः।
स एवाऽतिप्रवृध्दस्तु च्छिद्यतेऽतिप्रयत्नतः॥
एवमेव विकारोऽपि तरुणः साध्यते सुखम्।
विवृध्दः साध्यते कृछ्रादसाध्यो वाऽपि जायते॥

जैसे छोटे पौधे आसानी से तोड़े जा सकते हैं पर बड़े पेड़ नही, वैसे ही रोग का शुरुआत में ही
उपचार करना आसान होता है, बढ़ने पर साध्य से असाध्य ही हो जाता है।


युक्ति युक्तं प्रगृह्णीयात् बालादपि विचक्षणः।
रवेरविषयं वस्तु किं न दीपः प्रकाशयेत्॥

बुद्धिमान को बच्चों से भी युक्तिपूर्ण वचन ग्रहण करने चाहिए।
क्या दीप उस वस्तु को प्रकाशित नहीं करता, जिसे सूर्य प्रकाशित नहीं कर सकता ?


लये संबोधयेत् चित्तं विक्षिप्तं शमयेत् पुनः।
सकशायं विजानीयात् समप्राप्तं न चालयेत् ॥

जब चित्त निष्क्रिय हो जाये, तो उसे संबुद्ध करो। संबुद्ध चित्त जब अशान्त हो,
उसे स्थिर करो। चित्त पर जमे मैल (अहंकार तथा अज्ञानता) को पहचानो।
समवृत्ति को प्राप्त होने पर इसे फिर विचलित मत करो।


अनिषिध्दमनुमतम्॥

जिस पर आक्षेप नहीं कीया जाता, उसे सहमति के रूप में लिया जाता है।


विवादो धनसम्बन्धो याचनं चातिभाषणम् ।
आदानमग्रतः स्थानं मैत्रीभङ्गस्य हेतवः॥

वाद-विवाद, धन के लिये सम्बन्ध बनाना, माँगना, अधिक बोलना,
ऋण लेना, आगे निकलने की चाह रखना – यह सब मित्रता के टूटने में कारण बनते हैं।


कोऽन्धो योऽकार्यरतः को बधिरो यो हितानि न श्रुणोति।
को मूको यः काले प्रियाणि वक्तुं न जानाति॥

अन्धा कौन है? जो बुरे कार्यों में संलग्न रहता है।
बहरा कौन है? जो हितकारी बातों को नहीं सुनता।
गूँगा कौन है? जो उचित समय पर प्रिय वाक्य बोलना नहीं जानता।


रात्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातं भास्वानुदेष्यति हसिष्यति पङ्कजश्रीः।
इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे हा हन्त हन्त नलिनीं गज उज्जहार॥

रात खत्म होकर दिन आएगा, सूरज फिर उगेगा, कमल फिर
खिलेगा- ऐसा कमल में बन्द भँवरा सोच ही रहा था,
और हाथी ने कमल को उखाड़ फेंका।


अये ममोदासितमेव जिह्वया द्वयेऽपि तस्मिन्ननतिप्रयोजने।
गरौ गिरः पल्लवनार्थलाघवे मितं च सारं च वचो हि वाग्मिता॥

विस्तृत एवं अर्थहीन, इन दोनों ही में मेरी जिह्वा उदासीन रही।
साक्षिप्त और दृढ़ (सारयुक्त)—वाक्पटुता के ये लक्षण हैं।


विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय ।
खलस्य साधोर् विपरीतमेतद् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय ॥

दुर्जन की विद्या विवाद के लिये, धन उन्माद के लिये, और शक्ति दूसरों का दमन करने के लिये होती है।
सज्जन इसी को ज्ञान, दान, और दूसरों के रक्षण के लिये उपयोग करते हैं।


मनस्वी म्रियते कामं कार्पण्यं न तु गच्छति ।
अपि निर्वाणमायाति नानलो याति शीतताम् ॥

स्वाभिमानी लोग अपमानजनक जीवन के जगह में मृत्यु पसंद करते हैं।
आग बुझ​ जाती है लेकिन कभी ठंडी नहीं होती।


आशाया ये दासास्ते दासाः सर्वलोकस्य ।
आशा येषां दासी तेषां दासायते लोकः ॥

जो लोग इच्छाओं के सेवक हैं वे पूरी दुनिया के सेवक बन जाते हैं।
जिनके लिए इच्छा एक सेवक है, उनके लिए पूरी दुनिया भी एक सेवक है।


यश्चेमां वसुधां कृत्स्नां प्रशासेदखिलां नृपः ।
तुल्याश्मकाञ्चनो यश्च स कृतार्थो न पार्थिवः ॥

कोई राजा सारी पृथ्वी पर शासन करता हो, वह कृतार्थ नहीं होता ।
कोई साधु, पत्थर और स्वर्ण को समान समझता है, वह कृतार्थ (संतुष्ट) है।


ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाꣳस स्तनूभिर् व्यशेम देवहितं यदायुः॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

हे देव, हम अपने कानों से शुभ सुनें, अपनी आँखों से शुभ देखें,
स्थिर शरीर से संतोषपूर्ण जीवन जियें, और देवों द्वारा दी गयी आयु उन्हें समर्पित करें।


ददाति प्रतिगृह्णाति गुह्यमाख्याति पृच्छति ।
भुङ्क्ते भोजयते चैव षड्विधं प्रीतिलक्षणम् ॥

देना, लेना, रहस्य बताना और उन्हें सुनना, खाना
और खिलाना – ये छह प्रेम के संकेत हैं।


यस्तु संचरते देशान् यस्तु सेवेत पण्डितान् ।
तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि ॥

भिन्न देशों में यात्रा करने वाले और विद्वानों के साथ संबंध रखने वाले व्यक्ति की बुद्धि उसी तरह बढ़ती है, जैसे तेल की एक बूंद पानी में फैलती हैं।


चरन्मार्गान्विजानाति ।

पथिक व्यक्ती को मार्ग (अंत में) पता चल जाता ही है।


शतहस्त समाहर सहस्रहस्त संकिर ।

सौ हाथ से कमाओ और हजार से दान करो।


योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः ।

चित्त की वृत्तियों के निरोध का नाम योग है ।


अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद् गजभूषणं ।
चातुर्यम् भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणं ॥

घोडे की शोभा (प्रशंसा ) उसके वेग के कारण होती है और हाथी की उसकी मदमस्त चाल से होती है |
नारियों की शोभा उनकी विभिन्न कार्यों मे दक्षता के कारण और पुरुषों की उनकी उद्द्योगशीलता के कारण होती है |


कृते प्रतिकृतं कुर्यात्ताडिते प्रतिताडितम्।
करणेन च तेनैव चुम्बिते प्रतिचुम्बितम्॥

हर कार्रवाई के लिए, एक जवाबी कार्रवाई होनी चाहिए। हर प्रहार के लिए एक प्रति-प्रहार और उसी तर्क से,
हर चुंबन के लिए एक जवाबी चुंबन।


मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं तथा ।
क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः ॥

मूर्ख के पाँच लक्षण हैं; घमंड, दुष्ट वार्तालाप, क्रोध, जिद्दी तर्क, और अन्य लोगों की राय के लिए सम्मान की कमी।


निरपेक्षो निर्विकारो निर्भरः शीतलाशयः ।
अगाधबुद्धिरक्षुब्धो भव चिन्मात्रवासनः ॥

आप सुख साधन रहित, परिवर्तनहीन, निराकार, अचल, अथाह जागरूकता और अडिग हैं, इसलिए अपनी जागृति को पकड़े रहो ।


यावद्बध्दो मरुद देहे यावच्चित्तं निराकुलम्।
यावद्द्रॄष्टिभ्रुवोर्मध्ये तावत्कालभयं कुत:

जब तक शरीर में सांस रोक दी जाती है, जब तक मन अबाधित रहता है, और जब तक ध्यान दोनों भौंहों के बीच लगा है, तब तक मृत्यु से कोई भय नहीं है।


निश्चित्वा यः प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मणः ।
अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते ॥

जिनके प्रयास एक दृढ़ प्रतिबद्धता से शुरु होते हैं, जो कार्य पूर्ण होने तक ज्यादा आराम नहीं करते हैं, जो समय बर्बाद नहीं करते हैं और जो अपने विचारों पर नियंत्रण रखते हैं वह बुद्धिमान है ।


अपि मेरुसमं प्राज्ञमपि शुरमपि स्थिरम् ।
तृणीकरोति तृष्णैका निमेषेण नरोत्तमम् ॥

भले ही कोई व्यक्ति मेरु पर्वत की तरह स्थिर, चतुर, बहादुर दिमाग का हो।
लालच उसे पल भर में घास की तरह खत्म कर सकता है।


विद्यां चाविद्यां च यस्तद्वेदोभ्य सह ।
अविद्यया मृत्युं तीर्त्वाऽमृतमश्नुते ॥

जो दोनों को जानता है, भौतिक विज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक विज्ञान भी, पूर्व से मृत्यु का भय, अर्थात् उचित शारीरिक और मानसिक प्रयासों से, और उत्तरार्द्ध, अर्थात् मन और आत्मा की पवित्रता से मुक्ति प्राप्त करता है।


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