Mai Ram Par Likhu Meri Himmat Nahi hai Kuchh | Shamsi Meenai Poem in Hindi

Share It

Mai Ram Par Likhu Meri Himmat Nahi hai Kuchh (मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ ) | Shamsi Meenai Poem in Hindi


मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ
तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ
फिर ऐसा कोई ख़ास कलम वर नहीं हूँ मैं
लेकिन वतन की ख़ाक से बाहर नहीं हूँ मैं

Mai Ram Par Likhu Meri Himmat Nahi hai Kuchh | shamsi minai Poem in Hindi
Mai Ram Par Likhu Meri Himmat Nahi hai Kuchh shamsi minai Poem in Hindi

कोई पयाम ए हक़ हो वो सब है मेरे लिए
दुनिया का हर बुलंद अदब है मेरे लिए
वो राम जिसका नाम है जादू लिए हुए
लीला है जिसकी ॐ की खुशबू लिए हुए
अवतार बन के आयी थी ग़ैरत शबाब की
भारत में सबसे पहली किरण इंक़लाब की

मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ
तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ

Related:   kya zaroori hai ki yah malum hi ho | Kunwar narayan poems in hindi

हर गाम जिसका सच का फरेरा ही बन गया
वनवास ज़िन्दगी का सवेरा ही बन गया
एक तर्ज एक एक बात है हर ख़ास ओ आम से
मिलते हैं कैसे कैसे सबक हमको राम से

ऊंचा उठे तो फ़र्क़ न लाये सऊर में
कोई बढ़े न हद से ज्यादा गुरुर में

जंगल में भी खिला तो रही फूल की महक
गुदरी में रह के लाल की जाती नहीं चमक

दिल से कभी ये प्यार निकाला न जायेगा
माँ बाप का ख्याल भी टाला न जायेगा

बेटा वही जो माँ बाप की फरमान मान ले
शौहर वही जो लाज पे मरने की ठान ले

और बाप वो जो बेटों को लव – कुश बना सके
उनको जगत में जीने के सब गुण सिखा सके

भाई जो चाहे भाई को तलवार की तरह
जरनल जो रखे फ़ौज को परिवार की तरह

Related:   Darasal main vah aadami nahin hoon | Kunwar narayan poems in hindi

राजा वही गरीब से इन्साफ कर सके
दलदल से जात पात से हरदम उबर सके

जो वर्ण भेद भाव के चक्कर को तोड़ दे
शबरी के बेर खा के ज़माने को मोड़ दे

इंसान हक़ की राह में हरदम जमा रहे
ये बात फिर फिजूल की लश्कर बड़ा रहे

ईमान हो तो सोने का अम्बार कुछ नहीं
हो आत्मबल तो लोहे के हथियार कुछ नहीं

रावण की मैंने माना की हस्ती नहीं रही
रावण का कारोबार है फैला हुआ अभी
छाया हर एक सिम जो अँधेरा घना हुआ
हिन्दुस्तान आज है लंका बना हुआ

जो जुल्म से डरे वो उपासक हो राम का
सोने पे जान दे वो उपासक हो राम का

Related:   Best Amrita Pritam Poems

वो राम जिसने जुल्म की बुनियाद ढाई थी
जिसके भगत ने सोने की लंका जलाई थी
हर आदमी ये सोचे जो होशो हवास है
वो राम के करीब है रावण के पास है
लोगों को राम से जो मोहब्बत है आज कल
पूजा नहीं अमल की जरुरत है आज कल

मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ
तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ
मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ
तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ
मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ
तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ
मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ
तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ

बोलो सियावर रामचंद्र भगवान की -जय


Share It

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top